Kab Nahi Karna Chahiye Shubh Kam
शुभ कार्य कब स्थगित करें?
सौर मंडल में ग्रह निरन्तर चलायमान रहते हैं। जब भी कोई ग्रह परिक्रमा करते हुए सूर्य के निकट आ जाता है, तो 'अस्त ग्रह' कहलाता है।
अस्त ग्रह सूर्य के ओज में अपने नैसर्गिक स्वभाव गुण व जिन बातों का कारक कहा जाता है, उनको खो देता है और मूल गुणो में गिरावट होती है।
अस्त हो गये ग्रह की अवधि में शुभ कार्य कराना वर्जित है।
शास्त्रों के अनुसार गुरु-शुक्र अस्त में विवाह, यज्ञोपवीत, राज्याभिषेक, बावड़ी, मुंडन, कुआं, तालाब खुदवाना, मंदिर एवं गृह निर्माण करना, व्रत-उद्यापन, वधू प्रवेश, मंत्र दीक्षा, कर्ण छेदन एवं अन्य शुभ कार्य टालना ठीक रहता है।
जिन कार्यों के लिए दिवस नियत हैं उनमें दोष नहीं लगा; जैसे-अन्नप्राशन (6 माह में होता है) नामकरण (11 वें दिन होता है), गण्डांत पूजा (27वें दिन मूल नक्षत्रों की) आदि अपवाद हैं, ये कार्य कर सकते हैं।
सर्वार्थ चिंतामणि व सारावली के अनुसार जन्मपत्रिका में शुक्र अस्त हो तो अस्त ग्रह की दिशा कष्टप्रद होती है, ग्रह निर्बल होता है।
Kab Nahi Karna Chahiye Shubh Kam
वह कुण्डली में जिन भावों को प्रतिनिधित्व करता है उससे सम्बन्धित परिणाम प्रायः शुभ नहीं होते।
शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक स्तर पर कष्टप्रद होता है। शुक्र विवाह, पत्नी, काम सौन्दर्य व कला के कारक हैं।
अतः अपनी शुभता खोकर अनिष्ट परिणाम अधिक होते है। वशिष्ठ के अनुसार, शुक्र अस्त में पांच दिन पूर्व, उदय होने से पांच दिन पूर्व तक मुहूर्त न रखें।
Kab Nahi Karna Chahiye Shubh Kam