Nandi Baba Ka Sthan
नंदी गर्भगृह के बाहर क्यों होता है?
शैव मतावलम्बियों के शिवालयों में नंदी प्रतिमा की स्थापना मंदिर के गर्भगृह के बाहर होती है। नंदी शिव वाहन है।
शिव परिवार का अभिन्न सदस्य और अदम्य शक्तियों का स्वामी होने के कारण पूज्य भी है। फिर यहां एक प्रश्न है कि नंदी गर्भगृह के बारह क्यों स्थापित होता है?
नंदी की स्थापना गर्भगृह के बाहर समाधिस्थ स्थिति में पायी जाती है। समाधि भी खुली आंखों की समाधि।
महाभारत के आचार्य इस रहस्य को स्पष्ट करते हुए बताते हैं- "खुली आंखों वाली समाधि से ही आत्मज्ञान और आत्मज्ञान से जीवन मुक्ति प्राप्त करना संभव हो पाता है।
यह एक संदेश का प्रचार करता है कि मनुष्यरूपी जीवात्मा की पशुवत् प्रवृत्तियां उसे ईश्वर से दूर ले जाने का प्रयास करती हैं जबकि सद्प्रवृत्तियां उसे शिव की ओर खींचती हैं।
अत: गर्भगृह के बाहर रहते हुए भी नंदी की दृष्टि शिव पर ही टिकी रहती है और वह अनवरत रूप से अपने आराध्य में ही तल्लीन रहता है।
नंदी पुरुष का प्रतीक है। इसलिए शिवालय में प्रवेश करने से पूर्व उसे प्रणाम किया जाना शास्त्र सम्मत है।
नंदी के सींग विवेक और वैराज्ञ के प्रतीक हैं। दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगूठे से नंदी के सींगों को स्पर्श करते हुए शिव के दर्शन किए जाते हैं।
ऐसा करने से भक्त में घमंड का नाश होता है। कई विद्वान इसे यूं भी मानते हैं कि नंदी की गर्भगृह के बाहर स्थापना इस बात का सूचक है-पाशविक वृत्तियों, दम्भ, ईर्ष्या, छल आदि का परित्याग करने के पश्चात ही भक्त को भगवान के दर्शन होने हैं।
इन्हें साथ लेकर इष्ट के सम्मुख आने वाले भक्तों का मंदिर आना सार्थक नहीं होता।"
Nandi Baba Ka Sthan