F श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden - bhagwat kathanak
श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

bhagwat katha sikhe

श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

 श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

श्रवणस्य विभेदेन फलभेदोत्र संस्थितः |
श्रवणं तु कृतं सर्वै र्न तथा मननंकृतम् ||

गोकर्ण जी श्रवण के भेद के कारण ही ए फल में भेद हुआ है श्रवण तो सब ने किया परंतु जिस प्रकार धुंधकारी ने मनन किया उस प्रकार किसी और ने मनन नहीं किया।

 श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

  • आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-

 भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com 

आप हमारे  whatsapp  ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here

श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

     श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden

    Ads Atas Artikel

    Ads Center 1

    Ads Center 2

    Ads Center 3