श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden
श्रवणस्य विभेदेन फलभेदोत्र संस्थितः |
श्रवणं तु कृतं सर्वै र्न तथा मननंकृतम् ||
गोकर्ण जी श्रवण के भेद के कारण ही ए फल में भेद हुआ है श्रवण तो सब ने किया परंतु जिस प्रकार धुंधकारी ने मनन किया उस प्रकार किसी और ने मनन नहीं किया।
श्रवणस्य विभेदेन - shravanasy vibheden
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