F यः स्वानुभावमखिल /Yaḥ svānubhāva makhila - bhagwat kathanak
यः स्वानुभावमखिल /Yaḥ svānubhāva makhila

bhagwat katha sikhe

यः स्वानुभावमखिल /Yaḥ svānubhāva makhila

यः स्वानुभावमखिल /Yaḥ svānubhāva makhila

 यः स्वानुभावमखिल /Yaḥ svānubhāva makhila

यः स्वानुभावमखिलश्रुतिसारमेक
       मध्यात्मदीप मतितिर्षतां तमोन्धम् |
संसारिणां करुणयाह पुराणगुह्मं
        तं व्याससूनुमुपयामि गुरुं मुनीनाम् ||

शौनक जी यह श्रीमद्भागवत महापुराण आत्म स्वरूप का अनुभव कराने वाला है और समस्त वेदों का सार है अज्ञान अंधकार में पड़े हुए और इस संसार सागर से पार पाने के इच्छुक प्राणियों पर करूणा कृपा करके श्री सुखदेव जी ने यह अध्यात्म दीप प्रज्वलित किया है ऐसे व्यास जी के पुत्र और प्राणियों के गुरु श्री सुखदेव जी को मैं प्रणाम करता हूं उन की शरण ग्रहण करता हूं |

 यः स्वानुभावमखिल /Yaḥ svānubhāva makhila

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