ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam
ब्राह्मण विद्वान भगवान के भक्त और संत महात्माओं को आया देख जो खड़ा नहीं होता उनका सम्मान नहीं करता वह दुख को प्राप्त करता है इन्द्र ना तो आसन दिया और न ही उनके सम्मान में खड़ा हुआ जिससे गुरुदेव बृहस्पति रुष्ट हो गए और वहां से अंतर्ध्यान हो गए सभा के पूर्ण होने पर इंद्र को पश्चाताप हुआ वह देवताओं के साथ गुरुदेव की कुटिया में आया और गुरुदेव बृहस्पति को कुटिया में ना देख अपने आप को धिक्कारने लगा,,,
ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam
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