F ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam - bhagwat kathanak
ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam

bhagwat katha sikhe

ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam

ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam

 ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं /Bramhaṇaṁ gyan sampannam


ब्रम्हणं ज्ञान सम्पन्नं विष्णोर्भक्तं महात्मनः |
आयान्तं वीक्ष्यनोतिष्ठेत सादुखैः परिभूयते ||

ब्राह्मण विद्वान भगवान के भक्त और संत महात्माओं को आया देख जो खड़ा नहीं होता उनका सम्मान नहीं करता वह दुख को प्राप्त करता है इन्द्र ना तो आसन दिया  और न ही उनके सम्मान में खड़ा हुआ जिससे गुरुदेव बृहस्पति रुष्ट हो गए और वहां से अंतर्ध्यान हो गए सभा के पूर्ण होने पर इंद्र को पश्चाताप हुआ वह देवताओं के साथ गुरुदेव की कुटिया में आया और गुरुदेव बृहस्पति को कुटिया में ना देख अपने आप को धिक्कारने लगा,,,

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