F कर्माण्या रभ माणानां /Karmāṇyā rabha māṇānāṁ - bhagwat kathanak
कर्माण्या रभ माणानां /Karmāṇyā rabha māṇānāṁ

bhagwat katha sikhe

कर्माण्या रभ माणानां /Karmāṇyā rabha māṇānāṁ

कर्माण्या रभ माणानां /Karmāṇyā rabha māṇānāṁ

 कर्माण्या रभ माणानां /Karmāṇyā rabha māṇānāṁ


कर्माण्यारभमाणानां दुःखहत्यै सुखाय च |
पश्येत् पाकविपर्यासं मिथुनीचारिणां नृणाम् |

राजन संसारी मनुष्य सुख की प्राप्ति के लिए दुख की निवृत्ति के लिए अनेकों कर्म करता है, ऐसे मनुष्य जो मोह माया से पार पाना चाहते हैं , उन्हे विचार करना चाहिये कि उनके कर्म का फल किस तरह विपरीत होता है | सुख के स्थान पर दुख की प्राप्ति होती है और दुख की निवृत्ति के स्थान पर दिन-ब-दिन दुख बढ़ता जाता है।

 कर्माण्या रभ माणानां /Karmāṇyā rabha māṇānāṁ


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