कायेन वाचा मनसैन्द्रियैर्वा /Kāyēna vāchā man saindriyairvā
कायेन वाचा मनसैन्द्रियैर्वा
बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् |
करोति यद्यत सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयेत्तत् |
शरीर, मन ,वाणी, इंद्रिय तथा बुद्धि के द्वारा मनुष्य अपने स्वभाव से जो भी कर्म करें वह भगवान के चरणों में समर्पित कर दे, यही है निष्काम भक्ति और यही भागवत धर्म भी है |
कायेन वाचा मनसैन्द्रियैर्वा /Kāyēna vāchā man saindriyairvā
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