F Tam Adbhutam Balakam /तमद्भुतमं बालकमम्बुजेक्षणं - bhagwat kathanak
Tam Adbhutam Balakam /तमद्भुतमं बालकमम्बुजेक्षणं

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Tam Adbhutam Balakam /तमद्भुतमं बालकमम्बुजेक्षणं

Tam Adbhutam Balakam /तमद्भुतमं बालकमम्बुजेक्षणं

 Tam Adbhutam Balakam /तमद्भुतमं बालकमम्बुजेक्षणं


तमद्भुतमं बालकमम्बुजेक्षणं चतुर्भुजं शंखगदार्युदायुधम् |
श्रीवत्सलक्ष्मं गलशोभि कौस्तुभं पीताम्बरं सान्द्रपयोद सौभगम् |

वसुदेव जी ने अपने सामने एक अद्भुत बालक को देखा-

बालेसु-बालेसु कानि ब्रम्हाण्डानि यस्य एव भूतं- उस बालक के रोम रोम में अनेकों ब्रह्मांड समाए हुए हैं इसलिए यह अद्भुत बालक है| अथवा-

बालः कं ब्रम्हा यस्य- ब्रम्हा जी जिसके बालक हैं, इसलिए यह अद्भुत बालक है | यह बालक होने पर भी साक्षात ब्रह्म है इसलिए यह अद्भुत बालक है |

अम्बुजायाम् ईक्षणे यस्य- अम्बुजेक्षणम् - जन्म लेते ही अंबुजा लक्ष्मी को ढूंढ रहा है इसलिए यह अद्भुत बालक है | इसकी चार भुजाएं हैं जिसमें इन्होंने शंख,चक्र,गदा और पद्म धारण कर रखा है | ह्रदय में श्रीवत्स की सुनहरी रेखा विद्यमान है ,गले में कौस्तुभ मणि शोभायमान हो रही है और मेघ के सामान श्यामल शरीर में पितांबर फहरा रहा है , ऐसे अद्भुत बालक को वसुदेव जी ने देखा,,,,

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