F सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka - bhagwat kathanak
सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka

bhagwat katha sikhe

सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka

सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka

 सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka

सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka

सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं सत्यस्य योनिं निहितं च सत्ये।

सत्यस्य सत्यमृतसत्यनेत्रं सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः॥१॥*

सत्य जिनका व्रत है, जो सत्यपरायण, तीनों कालमें सत्य, सत्य (भाव) स्वरूप, संसारके उद्भवस्थान और अन्तर्यामीरूपसे सत्य (संसार) में निहित हैं तथा सत्य और ऋत जिनके नेत्र हैं, उन सत्यके सत्य आप सत्यस्वरूपकी हम शरण हैं ॥ १॥

 सत्यव्रतं सत्यपरं /satyavratam shloka

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