नमस्ते सते ते /namaste sate te shloka
नमस्ते सते ते जगत्कारणाय नमस्ते चिते सर्वलोकाश्रयाय।
नमोऽद्वैततत्त्वाय मुक्तिप्रदाय नमो ब्रह्मणे व्यापिने शाश्वताय॥२॥
हे प्रभो! जगत्के कारणरूप और सत्स्वरूप आपको नमस्कार है, सर्वलोकोंके आश्रयभूत ज्ञानस्वरूप आपको नमस्कार है, मोक्षप्रद अद्वैततत्त्वरूप आपको नमस्कार है, शाश्वत और सर्वव्यापी ब्रह्मको नमस्कार है॥ २॥
नमस्ते सते ते /namaste sate te shloka