त्वमेकं शरण्यं /tvamekam sharanyam shloka
त्वमेकं शरण्यं त्वमेकं वरेण्यं त्वमेकं जगत्पालकं स्वप्रकाशम्।
त्वमेकं जगत्कर्तृ पातृ प्रहर्तृ त्वमेकं परं निश्चलं निर्विकल्पम्॥३॥
आप ही एक शरण लेने योग्य हैं, आप ही एक वरण करने योग्य हैं, आप ही एक जगत्को पालन करनेवाले तथा स्वप्रकाशस्वरूप हैं, इस जगत्के कर्ता, रक्षक और संहारक भी आप ही हैं तथा सबके परे निश्चल और निर्विकल्प ब्रह्म भी आप ही हैं ॥ ३॥
त्वमेकं शरण्यं /tvamekam sharanyam shloka