वयं त्वां स्मरामो /vayam tvam smaramo shloka
वयं त्वां स्मरामो वयं त्वां भजामो वयं त्वां जगत्साक्षिरूपं नमामः।
सदेकं निधानं निरालम्बमीशं भवाम्भोधिपोतं शरण्यं व्रजामः ॥५॥
हम एक आपका ही स्मरण करते हैं, आपका ही भजन करते हैं, जगत्के साक्षीरूप एक आपको ही नमस्कार करते हैं, आप ही एकमात्र सत्यस्वरूप हैं, निधान हैं, अवलम्बनरहित हैं, इसलिये संसार-सागरके नौकारूप आप ईश्वरकी हम शरण लेते हैं।॥ ५॥
वयं त्वां स्मरामो /vayam tvam smaramo shloka