भज मन राम चरण सुखदाई bhajman ram charan sukhdai lyrics

  भज मन राम चरण सुखदाई bhajman ram charan sukhdai lyrics

भज मन राम चरण सुखदाई bhajman ram charan sukhdai lyrics

भज मन राम चरण सुखदाई

भज मन राम चरण सुखदाई ।

जिन चरनन ते निकसी सुरसरि शंकर जटा समाई ।

जटा संकरी नाम पर्यो है त्रिभुवन तारन आई ।।

जिन चरनन की चरन पादुका, भरत रह्यौ मन लाई ।

सोई चरन केवट धोइ लीन्हे, तब हरि नाव चलाई ।।

सोई चरन संतजन सेवत, सदा रहत सुखदाई ।

सोई प्रभु त्रिलोक के स्वामी, कनक मृगा सँग धाई ।।

शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक, शेष सहस मुख गाई ।

'तुलसीदास' आरत की प्रभु, निज मुख करत बड़ाई ।।

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