F भूलि गए गोपग्रह गोपिकान्ह भूलि गए bhuli gaye gopgrah lyrics - bhagwat kathanak
भूलि गए गोपग्रह गोपिकान्ह भूलि गए bhuli gaye gopgrah lyrics

bhagwat katha sikhe

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भूलि गए गोपग्रह, गोपिकान्ह भूलि गए

भूलि गए गोपग्रह, गोपिकान्ह भूलि गए,

हुलसी मचाई मति प्रेम सरसाइस ।

दूध, दही, घृत की कीच मची गैलन में,

कीचन र्दै सबै पगे आनन्द बधाई में ।

छोटी सुठि चोटी कछोठी करि मोटि भई,

फैल गई तौंद बड़े मोद की अवाई में ।

राजी दिल मोहन विनोद में बिहसि नन्द,

आज नाचैं आनन्द सौं कन्हाई की बधाई में।-2

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