दरबार हजारों देखे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं darbar hazaro dekhe hai lyrics
दरबार हजारों देखे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं
दरबार हजारों देखे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं ।
जिस गुलशन में तेरा नूर नहीं, ऐसा कोई गुलजार नहीं ।।
अश्कों के फरिश्ते रहते हैं,
दिन रात तुम्हारे कदमों में,
है कौन वशर इस दुनिया में, जो तेरे दर का खिदमतगार नहीं।
दरबार हजारों...... ।।१।।
दुनियाँ से भला हम क्या माँगें,
दुनियाँ तो खुद ही भिखारिन है,
माँगो इस मुरली वाले से, जहाँ होता कभी इनकार नहीं।
दरबार हजारों...... ।।२।।
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वह नेत्र नहीं मोर पंख है बस,
जिसने प्रभु का दीदार नहीं,
वह दिल नहीं पत्थर होता है, जिस दिल में प्रभु का प्यार नहीं।
दरबार हजारों...... ।।३।।
हसरत है तुम से है मोहन,
जिस वक्त मेरा यह दम निकले,
तेरा एक नजारा काफी है, बस और मुझे दरकार नहीं ।
दरबार हजारों देखे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं ।।४।।