राम जन्म चौपाईयाँ ram janam chaupayi lyrics

 राम जन्म चौपाईयाँ ram janam chaupayi lyrics

अवधपुरी रघुकुलमनि राऊ। बेद बिदित तेहि दसरथ नाऊँ।

धरम धुरंधर गुननिधि ग्यानी। हृदयँ भगति मति सारंगपानी॥ 


* दोहा - कौसल्यादि नारि प्रिय सब आचरन पुनीत।
पति अनुकूल प्रेम दृढ़ हरि पद कमल बिनीत ॥ 

* एक बार भूपति मन माहीं। भै गलानि मोरें सुत नाहीं॥
गुर गृह गयउ तुरत महिपाला। चरन लागि करि बिनय बिसाला॥ 

निज दुख सुख सब गुरहिसुनायउ। कहिबसिष्ठबहुबिधि समुझायउ॥ 

धरहुधीर होइहहिं सुत चारी। त्रिभुवन बिदित भगत भय हारी॥ 

संगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा। पुत्रकाम सुभ जग्य करावा॥ 

भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें। प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें॥ 

जो बसिष्ठ कछु हृदयँ बिचारा। सकल काजु भा सिद्ध तुम्हारा॥ 

यह हबि बाँटि देहु नृप जाई। जथा जोग जेहि भाग बनाई। 


*दोहा - तब अदृस्य भए पावक सकल सभहि समुझाइ।

परमानंद मगन नृप हरष न हृदयँ समाई। 


दोहा - जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।"

चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥ 


नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥ - 

बरषहिं सुमन सुअंजुलि साजी। गहगहि गगन दुंदुभी बाजी।
अस्तुति करहिं नाग मुनि देवा। बहुबिधि लावहिं निज निज सेवा॥

राम जन्म चौपाईयाँ ram janam chaupayi lyrics

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