बन्दौं चरण श्रीषड् गोसाईं। bando charan shri shad gosayi
बन्दौं चरण श्रीषड् गोसाईं।
श्रीमद् रूपसनातन जीवहिं युग-रघुनाथ गोपाल सदाई ।।
श्रीचैतन्यदेव प्रिय पार्षद प्रेम-भक्ति रसखानि सुहाई।
श्रीवृन्दावन प्रगट कियो जिन राधाकृष्ण रस-केलि बताईं।।
ब्रज-अनुराग-तत्व के ज्ञाता वीतराग मूरति सुघराईं।
'श्यामदास' हित भक्ति-कल्पतरु त्रिविध ताप भव-त्रास नसाईं।।

