कियौ दृगन में धाम श्याम री। ब्रज के भजन पद
कियौ दृगन में धाम श्याम री।
जित देखौं तितही वही दीखे, मोहिं सूझत नहीं पन्थ धाम री।।
निरखि हसन सुधि रही न, तनक तन, मैं भई घायल ताहि याम री।
'ललितलडैती' जाने कियो कहा जी न लगत मेरो काहू काम री।।
braj ke pad