रे मन वृन्दावनविपिन निहार। ब्रज के भजन पद रे मन वृन्दावनविपिन निहार। ब्रज के भजन पदरे मन वृन्दावनविपिन निहार। यद्यपि मिले कोटि चिन्तामणि, तदपि न हाथ पसार।। विपिन-राज सीमा के बाहर हरिहूँ को न निहार। जय "श्रीभट्ट" धूर-धूसर तन यह आशा उरधार।। सभी पदों की सूची देखने के लिए क्लिक करें Bhagwat Kathanak Katha Hindibraj ke pad रे मन वृन्दावनविपिन निहार। ब्रज के भजन पद Share this post