जो कोउ वृन्दावन रस चाखै। ब्रज के भजन पद जो कोउ वृन्दावन रस चाखै। ब्रज के भजन पदजो कोउ वृन्दावन रस चाखै। भुवन चतुर्दश तिहूँ लोक को, स्वपनेहँ नहिं अभिलाखै।। "ललितकिशोरी" पङ्यो कोन में, श्याम-राधिका भाखै। युगलरूप विनु पलक न खोलै, लोभ दिखावो लाखै।। जो कोउ वृन्दावन रस चाखै। ब्रज के भजन पद Share this post