जय जय जय श्रीशचीकिशोर। jay jay jay shri chandra kishor
जय जय जय श्रीशचीकिशोर।
बन्दौं बारम्बार ध्यान धरि परम कृपापद साधन मोर ।।
भव भय सिन्धु अगाध तरन हित कलि में नहीं आसरो और।
तुव चरनन नखचन्द्र छटा बिनु त्रिभुवन माँझ तिमिरतम घोर।
'ललितलडैती' वेग बोलिये श्रीवृन्दावन कुञ्जन ओर।।

