F जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar - bhagwat kathanak
जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar

bhagwat katha sikhe

जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar

जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar

 जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar

जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar
जय श्री रूप महारस-सागर। 
दर्शन परशन वचन रसायन आनन्दह के सागर ।। 
अति गम्भीर धीर करुणामय, प्रेमभक्ति के आगर। 
उज्ज्वल-प्रेम महामणि प्रकटित देश गौड़ वैरागर।। 
सद्गुण मण्डित पण्डित-रञ्जन वृन्दावन निज नागर। 
कीरति विमल सुयश तेंहि 'माधो' सतत् रहहु हिये जागर।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi

 जय श्री रूप महारस-सागर। jay shri rup maharas sagar


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