जो तू राम नाम चित धरतौ। jo tu ram nam chit dharto
जो तू राम नाम चित धरतौ।
अब को जन्म आगिलो तेरो दोऊ जन्म सुधरतौ।।
जम को त्रास सबहि मिटि जातो भक्त नाम तेरो पड़तौ।
तन्दुल धरत संवारि श्याम को सन्त परोसौ करतौ।।
होतो नफा साधु की संगति मूल गाँठ ते टरतौ।
सूरदास' बैकुण्ठ पैठ में कोऊ न फेंट पकड़तौ।।