मोहन के अति नयन नुकीले। mohan ke ati nayan nukile
मोहन के अति नयन नुकीले।
निकसे जात पार हियरा के निरखत निपट गसीले।।
ना जानौं बेधुन अंनियनि की तीन लोक ते न्यारी।
ज्यों ज्यों छिदत मिठास हिये में सुख लागत सुकुमारी।।
जब सों जमुना कूल विलोक्यौ सब निसि नींद न आवै।
उठत मरोर बँक चितवनियाँ उर उतपात मचावै ।।
"ललित किशोरी' आज मिलैं जहँ ना कुलकान विचारौं ।
आग लगै यह लाज निगोड़ी, दूग भरि स्याम निहारी।।