सखी, हौं स्याम रंग रंगी। pad sangrah lyrics
सखी, हौं स्याम रंग रंगी।
देखि बिकाय गई वह मूरति, सूरति माँझ पगी।।
संग हतौ सपनें अपनें पुनि सोइ गई रस भोय।
जागैहु आगै दृष्टि परै सखि, नैक न न्यारो होय।।
एक कन्हैया नैननि में निसि, द्यौस रह्यौ करि भौन।
गाय चरावन जात सुन्यौ सखि, सो धौं कन्हैया कौन।।
कासों कहौं कौन पतियाइ मेरै कौन करै बकबाद ।
कैसे कैं कह्यौ जात 'गदाधर' गूंगे को गुड़ स्वाद ।।