जित देखौं तित श्याममयी है। shyam ji ke pad
जित देखौं तित श्याममयी है।
श्याम कुञ्ज वन यमुना श्यामा, श्याम गगन घट घटा छई है।।
सब रंगन में श्याम भरो है, लोग कहत यह बात नई है।
मैं बौरी के लोगन ही की श्याम पुतरिया बदल गई है।।
चन्द्रसार रविसार श्याम है दीप-शिखा पर श्यामतई है।
नीलकण्ठ को कण्ठ श्याम है मृगमद श्याम काम बिजई है।।
अति को अक्षर श्याम देखियत मनो श्यामता बेलि बई है।
नरदेवन की मोहर श्यामा अलख ब्रह्म छबि 'श्याम' भई है।।