F रे मन मान कही इक मेरी। vrindavan ke pad bhajan - bhagwat kathanak
रे मन मान कही इक मेरी। vrindavan ke pad bhajan

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रे मन मान कही इक मेरी। vrindavan ke pad bhajan

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रे मन मान कही इक मेरी। vrindavan ke pad bhajan

रे मन मान कही इक मेरी। 
गौरश्याम अभिराम युगल भज, यामें शोभा तेरी।। 
काम-क्रोध-मद-दम्भ कपट तजि, गुरुपद शरण गहे रे। 
दीन-हीन है सेव रसिकजन, प्रतिक्षण कृष्ण कहे रे।। 
त्याग विषय रस असद वार्ता, भुक्ति-मुक्ति की आसा। 
श्रीपति धाम काम कहा तेरो, कर वृन्दावन बासा।। 
विलसत-जहँ वृषभानु लाडिली, लाडिलो नेह-निधान। 
"श्यामदास' दासी मिलि निशदिन, कर सेवामृत पान।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi
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