F पलकन सौं रज झारूँ श्रीवन की। palkan so raj jharun shri van - bhagwat kathanak
पलकन सौं रज झारूँ श्रीवन की। palkan so raj jharun shri van

bhagwat katha sikhe

पलकन सौं रज झारूँ श्रीवन की। palkan so raj jharun shri van

पलकन सौं रज झारूँ श्रीवन की। palkan so raj jharun shri van

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पलकन सौं रज झारूँ श्रीवन की। palkan so raj jharun shri van

पलकन सौं रज झारूँ श्रीवन की। 
विहरत युगललाल मिलि सुख सों
मञ्जुल छाँहि निकुञ्ज सघन की। 
निर्मल नीर बहत यमुना को,
हरत त्रिविध पीड़ा जन-मन की। 
शिव नारद अज सुर सनकादिक
आस करत जित वास करन की।। 
भूरि भाग्य इन ब्रजवासिन के,
छके रहत छबि श्याम-बदन की। 
'ललितविहारिणि" देहु कृपा कर
ब्रजबसिवो नित शरण चरण की।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi
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