F चल मन वृन्दावन चल रहिये। chal man vrindavan chal rahiye - bhagwat kathanak
चल मन वृन्दावन चल रहिये। chal man vrindavan chal rahiye

bhagwat katha sikhe

चल मन वृन्दावन चल रहिये। chal man vrindavan chal rahiye

चल मन वृन्दावन चल रहिये। chal man vrindavan chal rahiye

 चल मन वृन्दावन चल रहिये। chal man vrindavan chal rahiye 

चल मन वृन्दावन चल रहिये। chal man vrindavan chal rahiye

चल मन वृन्दावन चल रहिये। 
परम पुनीत सो ब्रज की धरणि रज धरि शीश जनम-फल लहिये।। 
मञ्जुल सघन पुलिन यमुनातट सुन्दर पर्ण-कुटी चलि छइये। 
सन्त टूक लहि पाय यमुना जल मिलि रसिकन राधागुण गइये।। 
विहरत आवहिं युगललाल जब मन की व्यथा कथा सब कहिये। 
'श्याम' कृपा ऐसी कब करिहो चलि वृन्दावन लौट न अइये।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi
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