पायो जी म्हैं तो राम रतन धन पायो payo ji maine ram ratan
पायो जी म्हैं तो राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।। १
जनम जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।
खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन दिन बढ़त सवायो।। २
सत की नाव खेवटिया सतगुरु भवसागर तें तर आयो।
'मीरा' के प्रभु गिरधर नागर हरख हरख जस गायो।। ३