पितु मातु सहायक स्वामी सखा pitu matu sahayak swami sakha
पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुमही इक नाथ हमारे हो।
जिनके कछु और अधार नहीं, तिनके तुमही रखवारे हो।।
सब भाँति सदा सुखदायक हो, दुख दुर्गुण नाशन हारे हो।
प्रतिपाल करो सगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।। १
भुलिहैं हम ही तुमको तुम तो, हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।
भुलिहैं हम ही तुमको तुम तो, हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।
उपकारन को कछु अन्त नहीं, छिन-ही-छिन जो बिस्तारे हो।। २
महाराज ! महा महिमा तुम्हरी, समझै बिरले बुधिवारे हो।
शुभ शान्ति निकेतन प्रेमनिधे ! मन मन्दिर के उजियारे हो।।
इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्रानन के तुम प्यार हो
तुमसों प्रभु पाय प्रताप हरी, केहि के अब और सहार हो।। ३