श्री मोहन-मोहिनी स्तोत्र shri mohan mohani stotra
श्री मोहन-मोहिनी स्तोत्र
दोहा- श्रीहरिप्रिया स्वामिनि प्रणमि, पुनि प्रणमौं पियाप्रान।
कमलनैन श्रीकृष्ण कहि, वर्णों विविध विधान ।।
जय श्रीकृष्ण कमलदल-लोचन, दुख-मोचनि मृगलोचनि राधा।
जय श्रीकृष्ण छबीलो दुलहा, नवल छबीली दुलहिन राधा ।।
जय श्रीकृष्ण श्यामघन सुन्दर दिव्य घटा तन गोरी राधा।
जय श्रीकृष्ण किशोर नित्य नव, नित्य नवीन किशोरी राधा ।।
जय श्रीकृष्ण रसीलो नागर, रसिक रसीली नागरि राधा।
जय श्रीकृष्ण अमित गुण आगर, अति अद्भुत गुण-आगरि राधा।।
जय श्रीकृष्ण मनोहर मूरति, परम मनोहर मूरति राधा।
जय श्रीकृष्ण नीलमणि-आभा, कञ्चनमणि-आभा अति राधा।।
जय श्रीकृष्ण सदा सुख सागर, सहज सदा सुख सिंधुनि राधा।
जय श्रीकृष्ण राधिका-बल्लभ, कृष्ण-वल्लभा रसकिनि राधा।।
जय श्रीकृष्ण चारू चन्द्रानन, सुधा-सदन शशि-बदनी राधा।
जय श्रीकृष्ण पद्म परिपूरण, पूरण परम पद्मनि राधा ।।
जय श्रीकृष्ण प्रिया-मनमोहन, प्राण-प्रिया मन-मोहनि राधा।
जय श्रीकृष्ण मीन-मन मानहु, निर्मल जल जनु जीवनि राधा।।
जय श्रीकृष्ण तमाल तरूण छबि, कनक-लता छबि छाजति राधा।
जय श्रीकृष्ण दिव्य द्युति कन्दर्प, कीर्ति दिव्य रति राजति राधा ।।
जय श्रीकृष्ण नित्य नव रंगी, नव रंगनि रंग-भीनी राधा।
जय श्रीकृष्ण लाड़िलो प्रीतम, प्यारी प्रिया लाड़िली राधा।।
जय श्रीकृष्ण सुकोमल सीमा, अति सुकुमारी सीमा राधा।
जय श्रीकृष्ण अखिल परमापर, परमापर प्राणेशा राधा।।
जय श्रीकृष्ण विलास-विभाकर, रूप रसाल प्रभाकर राधा।
जय श्रीकृष्ण कल्पतरु तरुवर, तरुतम कल्पतरोवरि राधा।।
जय श्रीकृष्ण सुभग सुभ सुन्दर, सरस सुभग सुभ सुन्दरि राधा।
जय श्रीकृष्ण शिरोमणि सर्वस, सर्व शिरोमणि सुन्दरि राधा ।।
जय श्रीकृष्ण विलास विशारद, विशद विलास विचक्षनि राधा।
जय श्रीकृष्ण हरे हरि स्वामी, 'श्रीहरिप्रिया' स्वामिनि राधा।।
दोहा- युगल-नाम मणिमाल यह, जो धारे नित चित्त।
दोहा- युगल-नाम मणिमाल यह, जो धारे नित चित्त।