श्री राधाकृष्ण-स्तोत्र shri radha krishna stotra
श्री राधाकृष्ण-स्तोत्र
दोहा- नव नव रंगी त्रिभंगी जय श्याम सुअंगी श्याम ।
दोहा- नव नव रंगी त्रिभंगी जय श्याम सुअंगी श्याम ।
जय राधे जय हरिप्रिये श्रीराधे सुखधाम ।।
श्यामा गोरी नित्य किशोरी प्रीतम जोड़ी श्रीराधे।
रसिकरसीलो छैलछबीलो गुणगरवीलो श्रीकृष्ण ।।
रासविहारिणि रसविस्तारिणि पिय-उरधारिणि श्रीराधे।
नव नव रंगी नवलत्रिभंगी श्याम सुअंगी श्रीकृष्ण ।।
प्राणप्यारी रूप उजारी अति सुकुमारी श्रीराधे।
मैनमनोहर महामोदकर सुन्दर वरतर श्रीकृष्ण।।
शोभाश्रेणी मोहामैनी को किलबैनी श्रीराधे ।
कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता श्रीभगवन्ता श्रीकृष्ण ।।
चन्दावदनि कुन्दारदनि शोभासदनि श्रीराधे।
परमउदारा प्रभा अपारा अति सुकुमारा श्रीकृष्ण।।
हंसागमनी राजतरमनी क्रीड़ाकमनी श्रीराधे ।
रूपरसाला नैनविशाला परम कृपाला श्रीकृष्ण ।।
कीरतिवारी भानुदुलारी मोहनप्यारी श्रीराधे।
यसुदानन्दन जनमन-रञ्जन ब्रजकुल-चन्दन श्रीकृष्ण ।।
कञ्चन वेलि रतिरस रेलि अति अलवेलि श्रीराधे ।
सब सुखसागर सब गुण आगर रूप उजागर श्रीकृष्ण ।।
रमणी रम्या तरुतरतम्या सुगुण अगम्या श्रीराधे।
धाम निवासी प्रभा प्रकासी सहज सुहासी श्रीकृष्ण।।
शक्त्यालादिनि अति प्रियवादिनि उ-उन्मादिनि श्रीराधे।
अंग अंग टोना सरस सलोना सुभग सुठोना श्रीकृष्ण ।।
राधानामिनि गुण अभिरामिनि श्रीहरिप्रिये स्वामिनि श्रीराधे।
हरे हरे हरि हरे हरे हरि हरे हरे हरि श्रीकृष्ण ।।
दोहा- तजि कुतर्क जो नित पढ़े यह स्तोत्र रस पुञ्ज ।
श्यामदास ताकूँ युगल वास देत नित कुञ्ज।।