श्रीराधा-स्तोत्र shri radha stotra lyrics
श्रीराधा-स्तोत्र
दोहा- परा भक्ति रति वर्द्धिनी श्यामा सब सुख दैन।
दोहा- परा भक्ति रति वर्द्धिनी श्यामा सब सुख दैन।
रसिक मुकुट मणि राधिके जय नव नीरज नैन।।
जयति जय राधा रसिकमणि-मुकुट मन हरणि त्रिये।
पराभक्ति प्रदायिनि करि कृपा करूणा-निधि प्रिये ।।
जयति गोरी नव किशोरी सकल सुख सीमा श्रिये ।
जयति रतिरस वर्द्धिनी अति अद्भुता सदया हिये ।।
जयति आनन्द कन्दनी जग वन्दनी वर वदनिये।
जयति श्यामा अमितनामा वेदविधि निर्वाचिये ।।
जयति रास विलासिनी, कल कला कोटि प्रकाशिये ।
जयति विविध विहार कमनी रसिक रमनी शुभधिये ।।
जयति चञ्चल चारू लोचन दिव्य दुकूला भरनिये ।
जयति प्रेमा प्रेम सीमा कोकिला कल-बैनिये ।।
जयति प्रेमा प्रेम सीमा कोकिला कल-बैनिये ।।
जयति कञ्चन दिव्य अंगी नवल नीरज नैनिये।
जयति वल्लभ वल्लभा आनन्द कलभा तरुनिये।।
जयति रावलपति कुमारी नन्दबाल वधूटिये ।
जयति नागरि गुन उजागरि प्राणधन-मन हरनिये।।
जयति नूतन नित्य लीला नित्य धाम निवासिये।
जयति गुण माधुर्य भूपा प्रेम रूपा शाक्तिये ।।
जयति शुद्ध स्वभावशीला श्यामला सुकुमारिये ।
जयति यश जग प्रचुर परिकर 'श्रीहरिप्रिया' जीवनजिये।।
दोहा- नित्यप्रति रति युग कहैं सुनैं यह स्तोत्र अभिराम ।
पराभक्ति रति पावहिं नित पद श्यामा-श्याम ।।