F श्रीशचीतनयाष्टक shri shachita nayashtak lyrics - bhagwat kathanak
श्रीशचीतनयाष्टक shri shachita nayashtak lyrics

bhagwat katha sikhe

श्रीशचीतनयाष्टक shri shachita nayashtak lyrics

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श्रीशचीतनयाष्टक shri shachita nayashtak lyrics

श्रीशचीतनयाष्टक
उज्ज्वल वरण गौरवर देह, विलसित निरवधि भावविदेहम्। 
त्रिभुवन-पावन कृपायाः लेशं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम् ।। 

गद्गद् अन्तर भावविकारं, दुर्जन-तर्जन-नाद-विलालम् । 
भवभय-भञ्जन कारण करुणं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम्।। 

अरुणाम्बरधर चारुकपोलं, चन्द्र विनिन्दित शीतल वदनम्। 
जल्पित निजगुण-नाम विनोद, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम् ।। 

विगलित-नयन कमल जलधारं, भूषण नवरस भावविकारम् । 
गति अति मन्थर नृत्यविलासं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम्।। 

चञ्चल चारुचरणगति रुचिरं, मञ्जीर-रञ्जित-पदयुग मधुरम् । 
इन्दु विनिन्दित नखचयरुचिरं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम्।। 

धृत कटि डोर कमण्डलु दण्डं, दिव्य कलेवर मुण्डित मुण्डम् । 
दुर्जन कल्मष खण्डन दण्डं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम् ।।

भूषण-भूजर-अलकावलितं, कम्पित बिम्बाधर वरं रुचिरम् । 
मलयज विरचित उज्ज्वल-तिलकं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम्।। 

निन्दित अरुण कमलदल नयनं, आजानुलम्बित श्रीभुजयुगलम् । 
कैशोर-कलेवर नर्तक वेशं, तं प्रणमामि च श्रीशचीतनयम्।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi

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