श्रीबन धाम सबन तें नीकौं। shriban dham saban te niko
श्रीबन धाम सबन तें नीकौं।
जाकी रज दुर्लभ ब्रह्मादिक सुर-नर-मुनि आदी कौं।।
केलि विहार परस्पर होवत, श्याम-राधिका जीकौं।
जो रस निरखि देव-वधूअन कौं सुरपुर लागत फीकौं।।
जहँ दुःख-द्वन्द रहत नहीं कोऊ सुख उपजत है जीकौं।
'ललितलडैती' होय वास किम विन सेवै प्रिया-पी कौं।।