अब तो हरिनाम लौ लागी। ab to harinam lau lagi
अब तो हरिनाम लौ लागी।
सब जग को यह माखन चोरा, नाम धस्यो वैरागी।।
कित छोड़ी वह मोहन मुरली, कित छोड़ी सब गोपी।
मँड मुड़ाई डोरी कटि बाँधी, माथे मोहन टोपी।।
मात जसोमति माखन कारन, बाँधै जाके पाँव ।
स्याम किशोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नाँव।।
पीताम्बर को भाव दिखावै, कटि कौपीन कसै।
पीताम्बर को भाव दिखावै, कटि कौपीन कसै।
गौरकृष्ण की दासी 'मीरा' रसना कृष्ण बसे ।।