F श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra - bhagwat kathanak
श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra

bhagwat katha sikhe

श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra

श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra

 श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra 

श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra
श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र

जयति सच्चिदानन्द-रूपं धाम-श्रीवृन्दावनम् । 
सकल-सुख-सौन्दर्य-सम्पत्ति-सदन सुभ अति पावनम् ।। 

जयति लीला-ललित-लायक पूर्ण नित्य रस-उज्ज्वलम् । 
नन्दवंस-अवतंस-मणि कीरति-लली-केलिस्थलम् ।। 

जयति भक्ति-भाव-श्रद्धा-प्रेमकुल-रत्नाकरम् । 
काम-कोह-मद-मोद-तम-तृष्णा-तुषार दिवाकरम् ।।

जयति अचल अनूप सिद्ध स्वरूप गुणगण गो-परम् । 
सन्तगुरु गोविन्दपद-रज अञ्जिताक्षि-हृदि गोचरम् ।। 

जयति वैष्णव-वंश-वारिधि शारदेन्दु सुखकरम् । 
सिद्ध सुर मुनि मञ्जु-महिमा-माधुरी मत्त मधुकरम् ।। 

जयति यमुनावलित कुञ्जन-कलित मुनि-मन मोहनम् 
धर्मार्थ कामापवर्ग-निन्दित रम्यरज अति सोहनम् ।। 

जयति वृन्दाविपिन-परिकर विटप-खग-मृग-जलचरम् । 
बाल-वृद्ध-नर-नारी शृणु पद नम्र विनय मम बद्धकरम्।। 

जन्म जन्मनि रावरे पद-पदम-रज तन-भूषणम्। 
श्यामदास' इति आस श्रीवन-वास हर भव-दूषणम् ।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi

 श्रीवृन्दावनधाम-स्तोत्र vrindavan dham stotra 



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