चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko
चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज।
गोरस बेचन हरि मिलन एक पंथ दुइ काज॥
सखी! वहाँ चलो जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण हैं। दो काम सिद्ध होगा। दही भी बिक जायगा और भगवान्के दर्शन भी हो जायेंगे। यह तो साधारण श्रेणी है। दही बेचनेके समान ही भगवदर्शनका महत्त्व है।