F चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko - bhagwat kathanak
चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko

bhagwat katha sikhe

चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko

चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko

 चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko

चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। 
गोरस बेचन हरि मिलन एक पंथ दुइ काज॥ 

सखी! वहाँ चलो जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण हैं। दो काम सिद्ध होगा। दही भी बिक जायगा और भगवान्के दर्शन भी हो जायेंगे। यह तो साधारण श्रेणी है। दही बेचनेके समान ही भगवदर्शनका महत्त्व है।

 चलो सखी वा ठौरको जहाँ मिलें ब्रजराज। chalo sakhi va thaur ko

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