धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे / dharma kshetre shloka

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे / dharma kshetre shloka

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय॥१-१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

(सत् और असत् के विवेक रूपी नेत्रों से रहित,) धृतराष्ट्र बोले- (सत् और असत् के विवेक रूपी दिव्य नेत्रों वाले,) हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?॥१॥

Bhagavad Gita in Hindi / श्रीमद्भगवद्गीता

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