F वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन । - bhagwat kathanak
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन ।

bhagwat katha sikhe

वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन ।

वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि  चार्जुन ।

वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि  चार्जुन । 

भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन ॥
(गीता ७ । २६)

'जो प्राणी भूतकालमें हो चुके हैं, जो वर्तमानमें हैं और जो भविष्य में होंगे उन सबको मैं जानता हूँ, पर मेरेको कोई नहीं जानता ।'

यहाँ 'अहं वेद' पदोंमें केवल वर्तमान कालका प्रयोग करनेका तात्पर्य है कि परमात्माके लिये सब कुछ वर्तमान ही है। अतः वर्तमानमें सत्तारूपसे एक परमात्मा ही है। अब उसका चिन्तन क्या करें? उसमें ही पूरे डूबे रहें। वह हमारा   है, हम उसके हैं। 

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