हरी हम कब होंगे hari hum kab honge brijwasi lyrics

 हरी हम कब होंगे hari hum kab honge brijwasi lyrics

हरी हम कव होंगे वृज वासी 

ठाकुर नंद किशोर हमारौ, ठकुरानी राधा सी 

वंशीवट की शीतल छाया, सुगम व यमुना सी 

सखी सहेली नीकी मिली है, हरी वन्शी हरि दासी 

इतनी आश व्यास की पुजवउ, ब्रन्दाविपिन विलासी

हरि हम...

हरी हम कब होंगे hari hum kab honge brijwasi lyrics

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