चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne
चले यज्ञ की रक्षा करने
चले यज्ञ की रक्षा करने वो प्राणों के प्यारे
रघुकुल राघव राम चन्द्र दशरथ के नैनो के तारे
सोच
रही थी नन्ने मुन्ने कैसे तीर चलायेगे
कैसे
बड़े बड़े दुष्टों को रण में मार गिरायेगें
बालक
नही यह रूप प्रभु का दसरथ राज दुलारे ! रघुकुल राघव .
बालक पन में भक्त ध्रुव ने हरि दर्शन को पाया था
बाल भक्त प्रहलाद ने सत के झन्डे को फैहराया था
जली होलिका प्रभु क्रपा से फूल वने अंगारे ! रघुकुल राघव....