F चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne - bhagwat kathanak
चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne

bhagwat katha sikhe

चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne

चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne

 चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne

चले यज्ञ की रक्षा करने

चले यज्ञ की रक्षा करने वो प्राणों के प्यारे

रघुकुल राघव राम चन्द्र दशरथ के नैनो के तारे

सोच रही थी नन्ने मुन्ने कैसे तीर चलायेगे

कैसे बड़े बड़े दुष्टों को रण में मार गिरायेगें

बालक नही यह रूप प्रभु का दसरथ राज दुलारे ! रघुकुल राघव .

बालक पन में भक्त ध्रुव ने हरि दर्शन को पाया था

बाल भक्त प्रहलाद ने सत के झन्डे को फैहराया था

जली होलिका प्रभु क्रपा से फूल वने अंगारे ! रघुकुल राघव....

चले यज्ञ की रक्षा करने chale yagya ki raksha karne

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