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shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा -19

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shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा -19

shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा -19

shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

उस पुरुष की बात सुनते ही माहेश्वर भगवान हंसकर मेघ के समान गंभीर वाणी में उनसे कहने लगे-

विष्ण्विति व्यापकत्वात्ते नाम ख्यातं भविष्यति।
बहून्यन्यानि नामानि भक्तसौख्य कराणि हि।। रु•सृ• 6-43
हे वत्स व्यापक होने के कारण तुम्हारा विष्णु नाम विख्यात होगा। इसके अतिरिक्त और भी बहुत से नाम होंगे जो भक्तों को सुख देने वाले होंगे ।

तुम सुस्थिर होकर उत्तम तप करो क्योंकि वही समस्त कार्यों का साधन है । ऐसा कहकर भगवान शिव ने श्वास मार्ग से श्री विष्णु जी को वेदों का ज्ञान प्रदान किया । shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

भगवान विष्णु के बारह हजार दिव्य वर्षों तक तपस्या करके भी शिव का दर्शन प्राप्त नहीं हुआ । इसी बीच शिव की मंगलमय आकाशवाणी हुई कि संदेह दूर कर पुनः तपस्या करिए । शिव की वाणी को सुनकर विष्णु ने ब्रह्म में ध्यान को अवस्थित कर पुनः दीर्घ काल तक अत्यंत कठिन तपस्या की । ब्रह्म की ध्यानावस्था में ही विष्णु जी को बोध हुआ वे प्रसन्न होकर यह सोचने लगे कि वह महान तत्व है क्या?

उस समय शिव की इच्छा से तपस्या के परिश्रम मे निरत विष्णु के अंगों से अनेक प्रकार की जलधाराएं निकलने लगी। उस जल से सारा सूना आकाश व्याप्त हो गया। वह ब्रह्म रूप जल अपने स्पर्श मात्र से सब पापों का नाश करने वाला सिद्ध हुआ ।

उस जल में भगवान विष्णु बहुत कालों तक सोते रहे। नार अर्थात जल में शयन करने के कारण ही उनका नाम नारायण यह श्रुति सम्मत नाम प्रसिद्ध हुआ। उस समय उन परम पुरुष नारायण के अतिरिक्त दूसरी कोई प्राकृत वस्तु नहीं थी। उसके बाद उनसे सभी तत्व प्रगट हुए। प्रकृति से महकत्व प्रगट हुआ और महतत्व से सत्वादि तीनों गुण।

इन गुणों के भेद से ही त्रिविध अहंकार की उत्पत्ति हुई। अहंकार से पांच तन्मात्राएं उत्पन्न हुई और इन तन्मात्राओं से पांच भूत प्रगट हुए। उसी समय ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों का भी प्रादुर्भाव हुआ।  shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

हे मुनि श्रेष्ठ - इस प्रकार मैंने आपको तत्वों की संख्या का वर्णन किया। इनमें से पुरुष को छोड़कर शेष सारे तत्व प्रकृति से प्रकट हुए हैं । इसलिए सब के सब जड़ है । तत्वों की संख्या चौबीस है ।उस समय एकाकार हुए चौबीस तत्वों को ग्रहण करके वे परम पुरुष नारायण भगवान शिव की इच्छा से ब्रह्म रूप जल में सो गए।

 



ब्रह्माजी बोले- श्रीमन्नारायण के शयन करने पर शिवजी की इच्छा से नाभि में से कमल की उत्पत्ति हुई जिसकी अनंत योजन की ऊंचाई थी। पार्वती सहित शिव जी ने मुझे उत्पन्न किया मेरे चार मुख, लाल मस्तक पर त्रिपुंड लगा था, मैंने उस कमल के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं देखा।

कुछ क्षण पश्चात मुझे बुद्धि प्राप्त हुई और कमल के नीचे मैं अपने कर्ता को ढूंढने लगा, तब एक एक नाल को पकड़ता हुआ सौ वर्ष तक नीचे को चला किंतु वहां मैंने कमल की जड़ को ना पाया। फिर मैं कमल के ऊपर जाने की इच्छा करने लगा।  shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

हे मुने- जब इस कमल नाल के मार्ग द्वारा मैं ऊपर आया वहां मुझे तप करने की मंगलमय वाणी सुनाई पड़ी । आकाशवाणी को सुनकर मैं अपने पिता के दर्शन की इच्छा से फिर तप करने लगा बारह हजार वर्षों तक घोर तप किया ।

मुझ पर अनुग्रह करने के लिए भगवान प्रकट हुए-
शङ्खचक्रायुधकरो गदापद्म धरः परः।
घमश्यामल सर्वाङ्गः पीताम्बर धरः परः।। रु•सृ• 7-8

चार भुजा धारी सुंदर नेत्र वाले भगवान को देखकर मैं बड़ा प्रसन्न हुआ और शिव की माया बस अपने पिता को ना जान कर उससे बोला तुम कौन हो  shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

विष्णु भगवान ने कहा तुम निर्भय हो जाओ मैं तुम्हारी संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करूंगा, तब उन मुस्कुराते हुए विष्णु जी से ऐसे वचन सुनकर रजोगुण से विरोध मानकर मैंने जनार्दन से कहा कि- निष्पाप क्या तुम नहीं जानते मैं सब के संहार का कारण हूं , मैं साक्षात जगत का कर्ता, प्रकृति का प्रवर्तक आद्य, ब्रह्मा और विष्णु से उत्पन्न होने वाला और विश्व की आत्मा हूं।

हे नारद जब मैंने ऐसा कहा तो रमापति भगवान मुझ पर क्रुद्ध हुए। बोले कि मैं तुम्हारा ईश्वर हूं तुम मेरी शरण में आ जाओ । तब मैंने और हरी ने आपस में युद्ध प्रारंभ कर दिया । मेरे और उनके बीच लिंग प्रकट हुआ तब हम दोनों ने उनको नमस्कार करके युद्ध बंद कर दिया हम दोनों ने उनकी स्तुति की।  shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

तब महेश्वर प्रसन्न होकर बोले मेरी यह आज्ञा है कि तुम और ब्रह्मा चराचर जगत का पालन करो ! तुमने जो मेरी बड़ी भारी स्तुति की थी , उसे मैं सत्य करूंगा।

तुम्हारे अंग से जो मेरा रूप प्रकट होगा वह रूद्र कहलायेगा और मेरा अंश होने से सामर्थ में वह मेरे सदृश होगें। हे ब्रह्मण आप इस सृष्टि के निर्माता बने और श्रीहरि इसका पालन करने वाले होंगे । मेरे अंग से प्रगट जो रुद्र हैं वे इसका प्रलय करने वाले होंगे ।

यह जो उमा नाम से विख्यात परमेश्वरी प्रकृति देवी हैं इन्हीं की शक्ति भूता वाग्देवी ब्रह्मा जी का सेवन करेंगी। पुनः इन प्रकृति देवी से वहां जो दूसरी शक्ति प्रकट होगी वह लक्ष्मी रूप में भगवान विष्णु का आश्रय लेंगी।

तदनंतर पुनः काली नाम से जो तीसरी शक्ति प्रकट होगीं वह निश्चय ही मेरे अंशभूत रुद्रदेव को प्राप्त होंगी। वे कार्य की सिद्धि के लिए वहां ज्योति रूप से प्रकट होंगी, इस प्रकार मैंने देवी के शुभ स्वरूपा पराशक्तियों को बता दिया ।

त्वं च लक्ष्मीमुपाश्रित्य कार्यं कर्तुमिहार्हसि।
ब्रह्मंस्त्वं च गिरां देवीं प्रकृत्यं शामवाप्य च।। रु•सृ• 9-50
हे हरे आप लक्ष्मी का सहारा लेकर कार्य कीजिए । हे ब्रह्मा आप प्रकृति की अंशभूता वाग्देवी को प्राप्त कर मेरी आज्ञा अनुसार सृष्टि कार्य संचालन करें। मैं अपनी प्रिया की अंशभूता परात्पर काली का आश्रय लेकर रूद्र रूप से प्रलय संबंधी उत्तम कार्य करूंगा ।  shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

हे विष्णु मेरा दर्शन से जो फल प्राप्त होगा वह आपके दर्शन होने पर भी प्राप्त होगा। मैंने आपको आज यह वर दिया है-
ममैव हृदये विष्णुर्विष्णोश्च हृदये ह्यहम्।
मेरे हृदय में विष्णु हैं और विष्णु के हृदय में मैं हूं । हे विष्णु आप मेरी आज्ञा से इन सृष्टि कर्ता पितामह का प्रसन्नता पूर्वक पालन कीजिए, ऐसा करने से आप तीनों लोगों में पूजनीय होंगे । यह रूद्र आपके और ब्रह्मा के सेव्य होंगे क्योंकि त्रैलोक्य के लयकर्ता ये रूद्र शिव के पूर्ण अवतार हैं । पाद्मकल्प में पितामह आपके पुत्र होंगे उस समय आप मुझे देखेंगे और वह ब्रह्मा भी मुझे देखेंगे ।  shiv puran in hindi pdf शिव पुराण कथा

ब्रह्मा विष्णु और रुद्र की आयु- महादेव जी बोले- हे विष्णु तुम सर्वदा सब लोकों में पूज्य और मान्य होओगे। ब्रह्मा के बनाए लोकों में कभी दुख उत्पन्न होगा उसे तुम ही समाप्त करोगे । अनेकों अवतार धारण करके जीवों का कल्याण करोगे ।
अब तुम तीनों देवताओं के आयुर्बल सुनो-
चतुर्युग सहस्त्राणि ब्रह्मणो दिनमुच्यते।
रात्रिश्च तावती तस्य मानमेतत्क्रमेण ह।। रु•सृ• 10-16

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