शिव पुराण कथा हिंदी में Shiv Puran in Hindi -4

  शिव पुराण कथा हिंदी में Shiv Puran in Hindi

शिव पुराण कथा हिंदी में Shiv Puran in Hindi

गिरिजे स्कन्द मातस्त्वं सेवितां सर्वदा नरैः।

सर्वसौख्य प्रदे शम्भुप्रिये ब्रह्मस्वरूपिणी।। मा-5-3

हे गिरिराज नंदनी, हे स्कंद माता मनुष्यों ने सदा ही आपकी सेवा की है । समस्त सुखों को देने वाली हे शंभू प्रिये, ब्रह्म स्वरूपणी आप विष्णु और ब्रह्मा आदि देवताओं द्वारा सेव्य हैं, आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम ।


वह चंचुला ऐसे स्तुति करते करते चुप हो गई, उसके नेत्रों से प्रेमाश्रु बह चले । तब करुणा से भरी हुई शंकर प्रिया भक्तवत्सला पार्वती देवी ने चंचुला से बड़े प्रेम पूर्वक बोलीं- हे सखी चंचुले मैं तुम्हारी की हुई इस स्तुति से बहुत प्रसन्न हूं बोलो क्या वर मांगती हो?

किं याचसे वरं ब्रूहि नादेयं विद्यते तव। मा-5-9

तुम्हारे लिए मुझे कुछ भी अदेय नहीं है । चचुंला बोली हे देवी मेरे पति बिंदुग इस समय पर कहां हैं, उनकी कैसी गति हुई है


यह सुनकर पार्वती जी प्रसन्नता पूर्वक बोली तेरा पति बिंदुग अपने बुरे पाप कर्मों के कारण मरकर नर्क में जाकर अनेकों वर्ष दुख भोग अब पाप शेष से वह पापी विंध्याचल पर्वत पर पिशाच हुआ है। 

  शिव पुराण कथा हिंदी में Shiv Puran in Hindi

वहां वायु भोजी अनेकों कष्ट भोग रहा है । यह सुनकर चचुंला दुखी हो गई और भगवती से प्रार्थना करी कि आप मेरे पति का भी उद्धार करिए । 


तब देवी ने कहा चचुंला यदि तुम्हारा पति शिवपुराण की कथा सुने तो उसे अवश्य सद्गति प्राप्त हो जाएगी । गौरा जी के ऐसे वचन सुनकर चंचुला बारंबार प्रणाम करने लगी। 

 

देवी पार्वती ने शिव कीर्ति गायन करने वाले तुम्बरू गंधर्व को बिंदुग के कल्याणार्थ विंध्याचल पर्वत को भेजा। वह तुम्बरू और चचुंला विमान पर चढ़कर विंध्याचल पर्वत पर पहुंचे , वहां उन्होंने बड़े विशाल शरीर वाले पिशाच को देखा, उस भयंकर पिशाच को महाबली तुम्बरू ने बलपूर्वक पकड़कर पाशों से बांध दिया । 

 

  शिव पुराण कथा हिंदी में Shiv Puran in Hindi

उस दिन उस क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गया कि गौरी माता की आज्ञा से पिशाच तारने निमित्त तुम्बरू गंधर्व विंध्याचल पर शिवपुराण की कथा करेंगे । सब लोकों में महान कोलाहल हो गया कथा सुनने के लिए वहां बड़ा भारी समाज एकत्रित होने लगा। 

 

सभी की कथा पर बड़ी रुचि थी, पासों से बंधे हुए पिशाच को वहां बिठा दिया गया , तब तुम्बरू हाथ में वीणा लेकर शिव कथा कीर्तन करने लगे। उन्होंने पहली संहिता से लेकर सातवीं संहिता तक महात्म्य सहित शिव महापुराण की कथा सुनाई तो समस्त श्रोता गण सब पापों से मुक्त हो गए। 


उस पिशाच ने अपना वह शरीर त्यागकर दिव्य रूप प्राप्त किया। बिंदुग अपनी पत्नी सहित विमान पर बैठकर तुम्बरू के साथ शिव गुणगान करता हुआ शिवलोक को चला गया। 

तब भगवान शंकर ने पार्वती सहित उसका बड़ा आदर सत्कार किया और उसे अपना गण बना लिया । 

य इदं शृणुयाद्भक्त्या कीर्तयेद्वा समाहितः।

स भुक्त्वा विपुलान् भोगानन्ते मुक्तिमवाप्नुयात्।। मा-5-60

जो कोई इस पवित्र कथा को श्रद्धा पूर्वक सुनता है एवं कीर्तन करता है, वह इस लोक में सुखों को भोगकर अंत में मुक्ति को प्राप्त कर लेता है । 

 

संपूर्ण शिव कथानक की सूची देखें


www.bhagwatkathanak.in  /  www.kathahindi.com

  शिव पुराण कथा हिंदी में Shiv Puran in Hindi


0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close