श्रीमद् भागवत कथा bhagwat katha
भाग-1
श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताहिक कथा
इस श्री
भागवत रस पुस्तक में बहुत ही सुंदर तरीके से संपूर्ण सप्ताहिक कथा को विधिवत तरीके
से दर्शाया गया है, आप सभी भागवत प्रेमी सज्जनों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी
साबित होगी तथा भगवान श्री कृष्ण की भक्ति प्रदान करने वाली होगी ।
* मंगलाचरण के श्लोक*
अस्मद गुरुभ्यो नमः , अस्मत परम गुरुभ्यो नमः, अस्मत सर्व
गुरुभ्यो नमः , श्री राधा कृष्णाभ्याम् नमः,
श्रीमते रामानुजाय नमः
लम्बोदरं परम सुन्दर
एकदन्तं,
पीताम्बरं त्रिनयनं
परमंपवित्रम् ।
उद्यद्धिवाकर निभोज्ज्वल
कान्ति कान्तं,
विध्नेश्वरं सकल
विघ्नहरं नमामि।।१।।
शरीरं स्वरूपं ततो
कलत्रं
यशश्चारु चित्रं
धनं मेरु तुल्यं।
मनश्चै न लग्नं
श्री गुरु रङ्घ्रिपद्मे
ततः किं ततः किं
ततः किं ततः किम्।।२।।
श्रीमद् भागवत कथा bhagwat katha
नारायणं नमस्कृत्य
नरं चैव नरोत्तमम् ।
देवीं सरस्वतीं
व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ।।३।।
जयतु जयतु देवो
देवकीनन्दनोऽयं
जयतु जयतु कृष्णो
वृष्णिवंशप्रदीपः ।
जयतु जयतु मेघश्यामलः
कोमलाङ्गः
जयतु जयतु पृथ्वीभारनाशो
मुकुन्दः॥४।।
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कृष्ण त्वदीयपदपङ्कजपञ्जरान्तं
अद्यैव मे विशतु
मानसराजहंसः ।
प्राणप्रयाणसमये
कफवातपित्तैः
कण्ठावरोधनविधौ
स्मरणं कुतस्ते ॥५।।
श्रीमद् भागवत कथा bhagwat katha
बर्हापीडं नटवरवपुः
कर्णयोः कर्णिकारं
बिभ्रद् वासः कनककपिशं
वैजयन्तीं च मालाम् ।
रन्ध्रान् वेणोरधरसुधया
पूरयन गोपवृन्दैः
वृन्दारण्यं स्वपदरमणं
प्राविशद् गीतकीर्तिः ।।६।।
करारविन्देन पदारविन्दं,
मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटय पत्रस्य पुटेशयानं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।।७।।
रामाय रामभद्राय
रामचंद्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय
सीताया पतये नम:।। ८।।
अंजना नंदनं वीरं
जानकी शोक नाशनं!
कपीश मक्ष हंतारं
– वंदे लंका भयंकरं!!९।।
मूकं करोति वाचालं
पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे
परमानन्द माधवम् ॥१०।।
भक्त भक्ति भगवंत गुरु चतुर नाम बपु एक। इनके पद वंदन कीएँ नासत विध्न अनेक ।।
परम
मंगलमय ,परमपिता परमात्मा,,श्री राधा गोविंद सरकार राधारमण
बाधा हरण श्री बांके बिहारी लाल उनका वाङ्गमय, शब्दमय विग्रह
श्रीमद्भागवत महापुराण कोटि-कोटि नमन कोटि-कोटि प्रणाम इस परम पावन पुराण ग्रंथ को,
परमाराध्याराध्य श्रीमद् यादवेंद्र पुरी स्वामीवर्य श्री गोविंद
गोपकुल भूषण नंद नंदन यशोदानंदवर्धन लीला पुरुषोत्तम नंद नंदन यशोदा नंदन व्रजजन
रंजन देवकी नंदन श्याम सुंदर श्री कृष्ण के पाद पद्मो पर कोटिशः नमन नतमस्तक वंदन
एवं अभिनंदन, उनकी आह्लादिनी शक्ति कृष्णप्राणप्रिया जगत
बंदनी वृषभानु नंदिनी भाश्वती जगदीश्वरी बरसाने वाली श्री किशोरी जी के पावन चरणारविंदो
पर प्रणति, समस्त भूतादिक-
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