क्षौर कर्म का अर्थ विधि chhaur karma vidhi
क्षौर-कर्म-
शास्त्रने क्षौर-कर्म अथवा बाल
कटवानेका निम्नलिखित क्रम निर्दिष्ट किया है। पहले दाढ़ी दाहिनी ओरसे पूरी बनवा ले, फिर मूँछको तब
बगलके बाल तथा सिरके केशको और इसके बाद आवश्यकतानुसार अन्य रोमोंको कटवाना चाहिये
। अन्तमें नखोंके कटवानेका विधान है।
एकादशी, चतुर्दशी, अमावास्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति, व्यतिपात, विष्टि (भद्रा), व्रतके दिन, श्राद्धके दिन
एवं मंगल, शनिवारको
क्षौरकर्म वर्जित है।
क्षौरकर्ममें गर्गादि मुनियोंका कथन
है कि रविवारको क्षौर करानेसे एक मासकी, शनिवारको सात मासकी और भौमवारको आठ मासकी आयुको, उस उस दिनके
अभिमानी देवता क्षीण कर देते हैं।
क्षौर कर्म का अर्थ विधि chhaur karma vidhi
इसी प्रकार बुधवारको क्षौर करानेसे
पाँच मासकी, सोमवारको
सात मासकी, गुरुवारको
दस मासकी और शुक्रवारको ग्यारह मासकी आयुकी, उसउस दिनके अभिमानी देवता वृद्धि करते हैं।
पुत्रेच्छु गृहस्थों एवं एक पुत्रवालेको सोमवारको तथा विद्या एवं लक्ष्मीके
इच्छुकको गुरुवारको क्षौर नहीं कराना चाहिये।
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