संकल्प मंत्र संस्कृत sankalp mantra
संकल्प
स्नान, सन्ध्या, दान, देवपूजन तथा
किसी भी सत्कर्मके प्रारम्भमें संकल्प करना आवश्यक है। अन्यथा सभी कर्म विफल हो
जाते हैं । हाथों में पवित्री धारण कर तथा आचमन आदिसे शुद्ध होकर दायें हाथमें
केवल जल अथवा जल, अक्षत, पुष्प आदि लेकर
निम्नलिखित संकल्प करे
ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः
। अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे
वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके
जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे.... क्षेत्रे नगरे ग्रामे........नाम- संवत्सरे
...... मासे ( शुक्ल / कृष्ण) पक्षे.....तिथौ ...वासरे....गोत्र: .... शर्मा /
वर्मा / गुप्तोऽहम् (मध्याह्ने, सायं ) सर्वकर्मसु शुद्ध्यर्थं
श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थं श्रीभगवत्प्रीत्यर्थं च अमुक कर्म करिष्ये ।
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