F तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra - bhagwat kathanak
तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra

bhagwat katha sikhe

तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra

तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra

 तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra


तिलक धारण करते समय कुछ लोग मंत्रों का उच्चारण करते हैं। तिलक धारण मन्त्र कुछ विशेष संस्कृत श्लोकों को शामिल कर सकते हैं। यहां कुछ उदाहरण हैं:


1. **कुष्ठी तिलक:**
- "ॐ कुष्ठाय नमः।"


2. **चंदन तिलक:**
- "ॐ चन्दनं विशेषार्तं चन्दनादित्यनन्दन।
चादयामि रजः सर्वं गृहाण मम सुप्रभो।"


3. **रक्त चंदन तिलक:**
- "ॐ रक्तचन्दनसंपूर्णं रक्ताञ्जनम् प्रपूजितम्।
रक्तबर्णं स्वरूपाय सर्वदेवो नमोऽस्तु ते।"


ध्यान रखें कि तिलक धारण में आप अपने व्यक्तिगत धार्मिक आदर्शों और आपके परंपरागत रूप से इसे कैसे धारण करना चाहते हैं, इस पर निर्भर कर सकते हैं। यह मन्त्र आपकी आदतों और आपके सामाजिक संप्रदाय के अनुसार बदल सकते हैं।

तिलक-धारण-प्रकार-

गङ्गा, मृत्तिका या गोपी- चन्दनसे ऊर्ध्वपुण्ड्र, भस्मसे त्रिपुण्ड्र और श्रीखण्डचन्दनसे दोनों प्रकारका तिलक कर सकते हैं। किंतु उत्सवकी रात्रिमें सर्वांगमें चन्दन लगाना चाहिये ।

 

- - भस्मादि-तिलक-विधि –

तिलकके बिना सत्कर्म सफल नहीं हो पाते' । तिलक बैठकर लगाना चाहिये । अपने-अपने आचारके अनुसार मिट्टी, चन्दन और भस्म - इनमें से किसीके द्वारा तिलक लगाना चाहिये। किंतु भगवान्पर चढ़ानेसे बचे हुए चन्दनको ही लगाना चाहिये। अपने लिये न घिसे।

 तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra

अँगूठेसे नीचेसे ऊपरकी ओर ऊर्ध्वपुण्ड्र लगाकर तब त्रिपुण्ड्र लगाना चाहिये। दोपहरसे पहले जल मिलाकर भस्म लगाना चाहिये। दोपहरके बाद जल न मिलावे । मध्याह्नमें चन्दन मिलाकर और शामको सूखा ही भस्म लगाना चाहिये । जलसे भी तिलक लगाया जाता है। ।

 

अँगूठेसे ऊर्ध्वपुण्ड्र करनेके बाद मध्यमा और अनामिकासे बायीं ओरसे प्रारम्भ कर दाहिनी ओर भस्म लगावे । इसके बाद अँगूठेसे दाहिनी ओरसे प्रारम्भ कर बायीं ओर लगावे । इस प्रकार तीन रेखाएँ खिंच जाती हैं। तीनों अँगुलियोंके मध्यका स्थान रिक्त रखें ।

 

नेत्र रेखाओंकी सीमा हैं, अर्थात् बायें नेत्रसे दाहिने नेत्रतक ही भस्मकी रेखाएँ हों। इससे अधिक लम्बी और छोटी होना भी हानिकर है । इस प्रकार रेखाओंकी लम्बाई छ: अंगुल होती है। यह विधि ब्राह्मणों के लिये है'। क्षत्रियोंको चार अंगुल, वैश्योंको दो अंगुल और शूद्रोंको एक ही अंगुल लगाना चाहिये ।

 तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra

( क ) भस्मका अभिमन्त्रण – भस्म लगानेसे पहले भस्मको अभिमन्त्रित कर लेना चाहिये । भस्मको बायीं हथेलीपर रखकर जलादि मिलाकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़े-

ॐ अग्निरिति भस्म । ॐ वायुरिति भस्म । ॐ जलमिति भस्म । ॐ स्थलमिति भस्म । ॐ व्योमेति भस्म । ॐ सर्वं ह वा इदं भस्म । ॐ मन एतानि चक्षूंषि भस्मानीति ।

 

- (ख) भस्म लगानेका मन्त्र – इसके बाद 'ॐ नमः शिवाय " मन्त्र बोलते हुए ललाट, ग्रीवा, भुजाओं और हृदयमें भस्म लगाये । अथवा निम्नलिखित भिन्न-भिन्न मन्त्र बोलते हुए भिन्न-भिन्न स्थानों में भस्म लगाये-

ॐ त्र्यायुषं जमदग्नेरिति ललाटे । ॐ कश्यपस्य त्र्यायुषमिति ग्रीवायाम् । ॐ यद्देवेषु त्र्यायुषमिति भुजायाम् । ॐ तन्नो अस्तु त्र्यायुषमिति हृदये |

 नित्यकर्मस्तुति पूजन मंत्र स्तोत्र की संपूर्ण सूची देखें 

तिलक धारण मन्त्र tilak lagane ka mantra

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