F 26 जनवरी पर भाषण हिंदी में 26 january speech in hindi - bhagwat kathanak
26 जनवरी पर भाषण हिंदी में 26 january speech in hindi

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26 जनवरी पर भाषण हिंदी में  26 january speech in hindi

26 जनवरी पर भाषण हिंदी में

यही आगाज है मेरा, यही अंजाम होना चाहिए।
वतन पर मर मिटने का सदा अरमान होना चाहिए। 
चाहे आप पढ़ते हो गीता या पढ़ते हों कुरान, 
लेकिन हमारे सीने में सदा हिंदुस्तान होना चाहिए। 

सर्वप्रथम मां भारती के चरणों में सत सत प्रणाम करता हूं और कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं उन शहीदों को जिन्होंने मां भारती की आन बान और शान के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया। स्कूल प्रांगण पर उपस्थित समस्त माननीय जन आदरणीय प्रधानाध्यापक जी, सभी शिक्षक शिक्षिका व उपस्थित सभी ग्राम वासियों का मैं बार-बार अभिनंदन करता हूं। साथियों जैसा कि हम सब जानते हैं 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ। यदि आज हम संप्रभु व स्वतंत्र हैं तो इसके पीछे हमारे देश भक्तों की शहादत उनका त्याग, उनका समर्पण और उनकी कुर्बानी है। आज हमारे लिए उन शहीदों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता भावांजलि देने का दिन है। 

भारत के संविधान में सबको समान शिक्षा, भेदभाव रहित समान अवसर और सबका साथ सबका विकास के समरसता पूर्ण अवसर प्रदान किए हैं। हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे बनाने में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे थे। बाबा साहब अंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर हरि सिंह गौर जैसे अनेक विद्वानों के अथक परिश्रम की बदौलत यह जनकल्याणकारी संविधान हमें मिला है। 

इसका हमें हरदम सम्मान करना चाहिए। प्रायः यह देखा जाता है कि लोग अपने मौलिक अधिकारों की तो वकालत करते हैं परंतु जब कर्तव्य पालन की बारी आती है तो मानो उन्हें सांप सूंघ जाता है। ऐसी मानसिकता देश के लिए घातक है। साथियों एक बात और कहना चाहूंगा की गणतंत्र दिवस समय केवल 5 मिनट सावधान खड़े रहने मात्र से हमारी राष्ट्रभक्ति पूरी नहीं होगी। यदि हम अपने राष्ट्र से प्यार करते हैं तो हमें हर वक्त सावधान रहना होगा 24 घंटे सावधान रहना होगा। हमें सावधान रहना होगा राजनीतिक बेईमानोे से, हमे सावधान रहना होगा विदेशी फंडिंग से पोषक आतंकवाद और नक्सलवाद से। सतर्क रहना होगा धर्मांतरण कराती हुई मिशनरियों से, हिंसा फैलाती अपवाहों से, नफरत भरी निगाहों से। मजहबी गुनाहों से। 

हमें सतर्क व सावधान रहना होगा जिस थाली में खाते उसी में छेद करते गद्दारों से, तब कहीं जाकर हमारा गणतंत्र दिवस मनाना सफल होगा। तब कहीं जाकर हमारा देश हमारा जनतंत्र लोकतंत्र मजबूत होगा। आजादी के बाद हमारे देश ने हर क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की है। हमारा सफल चंद्रयान मिशन इसका एक तरोताजा उदाहरण है। हमारी विदेशी निर्भरता घटी है। आज हमारे पास स्वदेशी फाइटर जेट हैं, स्वदेशी मिसाइलें हैं, स्वदेशी युद्ध टैंक हैं। आज हम खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं , टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं। 

लेकिन अफसोस मित्रों आज का मनुष्य तो चाँद में पहुंच गया है लेकिन उसको धरती पर कैसे रहना है यह कायदा उसने अभी नहीं सीखा है। जिसका दुष्परिणाम है रूस और यूक्रेन का विनाशकारी युद्ध ताण्डव। जिसका उदाहरण है हमास और इजराइल का विनाशकारी युद्ध। भारतवर्ष अनंत युगों से अपने आदर्श व दिव्यता के लिए महान देश के रूप में जाना जाता आया है। 

यह भारत वर्ष वह देश है जिसके यश का वर्णन देवता लोग भी करते हैं। और मेरा यह भी विश्वास है कि यदि भारत का हर नागरिक पूरी ईमानदारी व पूर्ण निष्ठा से साधना में जुटा रहे तो हमारे देश को विश्व महाशक्ति बनते देर ना लगेगी। अंत में चार लाइनों के साथ अपने वक्तव्य को विश्राम देना चाहूंगा। 

नफरत बुरी है ना पालो इसे, दिलों में खलिस है हटा लो इसे। ना तेरा ना मेरा ना इसका ना उसका, हम सब का वतन है संभालो इसे, हम सब का वतन है संभालो इसे।

गणतंत्र दिवस का परिचय

गणतंत्र दिवस, जिसे भारत में हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है, देश की गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। यह दिन भारतीय संविधान के प्रभावी होने की वर्षगांठ को दर्शाता है, जिसने भारत को एक संप्रभु राज्य के रूप में स्थापित किया। 26 जनवरी 1950 को, जब संविधान लागू हुआ, तब भारत ने एक नई दिशा में कदम रखा, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्रता की गारंटी दी गई।

गणतंत्र दिवस की शुरुआत 1950 में हुई, जब भारतीय संविधान को लागू किया गया और भारत ने एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना की। यह दिन केवल एक कानूनी दस्तावेज के लागू होने की तारीख नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक संघर्ष और स्वतंत्रता प्राप्ति की यात्रा का प्रतीक भी है। भारतीय संविधान, जो दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान में से एक है, विविधता में एकता का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।

गणतंत्र दिवस मनाने के कई कारण हैं। पहला, यह दिन पूरे देश को एकजुट करने का कार्य करता है, जिसमें सभी जातियों, धर्मों और समुदायों के लोग मिलकर अपने देश के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हैं। दूसरा, यह दिन भारतीय संस्कृति एवं इतिहास के महत्त्व को मान्यता देने का अवसर प्रदान करता है। अंततः, गणतंत्र दिवस समारोह, जिसमें समारोह और परेड शामिल हैं, नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्त्तव्यों का स्मरण कराता है। इस तरह, गणतंत्र दिवस केवल एक ऐतिहासिक दिन नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा का स्रोत भी है, जो हर भारतीय को देशभक्ति की भावना से भर देता है।

संविधान की भूमिका

भारतीय संविधान, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, देश का मूल कानून है, जो न केवल भारतीय गणतंत्र की आधारशिला है, बल्कि यह हमारे अधिकारों और कर्तव्यों का संरक्षण भी करता है। यह संविधान भारत के नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का आश्वासन देता है। इसके द्वारा बनाए गए सुसंगठित ढाँचे के तहत, विभिन्न सरकारी संस्थाएँ स्थापित की गई हैं, जो शासन की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाती हैं। संविधान की संरचना में भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए एक संघीय ढाँचा डिजाइन किया गया है, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार के बीच शक्तियों का वितरण स्पष्ट रूप से किया गया है।

संविधान में मौलिक अधिकारों का विस्तृत वर्णन किया गया है, जो प्रत्येक नागरिक को सुनिश्चित करता है कि उसे न्याय, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार प्राप्त हो। जैसे कि अनुच्छेद 14 से 18 में समानता के अधिकार, अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता का अधिकार, और अनुच्छेद 21 में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्रदत्त किया गया है। इसके अतिरिक्त, संविधान में मौलिक कर्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है, जिसके तहत नागरिकों को अपने देश के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह संतुलन संविधान की विशेषताओं में एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो व्यक्तिगत अधिकारों और सामाजिक उत्तरदायित्वों को समाहित करता है।

संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, मान्यता, और परंपरा का प्रतीक है। यह हमारी सामाजिक और राजनीतिक धरोहर को दर्शाता है और देश के अविभाज्य एकता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस प्रकार, भारतीय संविधान न केवल हमारे लोकतांत्रिक ढाँचे की नींव है, बल्कि यह हमारे नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का भी समाउटकार करता है।

26 जनवरी का ऐतिहासिक महत्व

26 जनवरी 1950 को भारत ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया, जब इसे एक स्वतंत्र गणतंत्र के रूप में स्थापित किया गया। यह दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में दर्ज है, क्योंकि इस दिन संविधान को लागू किया गया, जो देश के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव बन गया। गणतंत्र दिवस, जो हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है, यह दर्शाता है कि भारत ने अपनी स्वतंत्रता को केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अपनाया है।

देश का संविधान भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणतंत्र मानता है, जहाँ सभी नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त होती है। यह दिन न केवल कानून और व्यवस्था की स्थापना का प्रतीक है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्य और सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्धता का भी संकेत देता है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के समारोहों में बड़ी धूमधाम से परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं, जो भारत की विविधता और एकता को दर्शाती हैं।

विशेष रूप से, राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड भारत की सशस्त्र बलों की शक्ति को प्रदर्शित करती है और यह विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर का भी परिचय देती है। इस दिन भारतीय वायु सेना, नौसेना और थल सेना की भव्य परेड होती है, जो न केवल देशवासियों के लिए गर्व का विषय होती है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की शक्ति को प्रदर्शित करती है। इस प्रकार, 26 जनवरी का दिन न केवल हमारी ऐतिहासिकता को याद दिलाता है, बल्कि यह आत्म-निर्भरता और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनःस्थापना के लिए भी प्रेरित करता है।

रैली और परेड

गणतंत्र दिवस पर, 26 जनवरी को दिल्ली में आयोजित रैली और परेड भारतीय संस्कृति, सामर्थ्य और विविधता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह आयोजन न केवल देश के नागरिकों के लिए एक उत्सव का अवसर है, बल्कि यह विश्व को भी भारतीय सशस्त्र बलों और सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाता है। रैली के दौरान, कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सैनिकों की भव्य परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न राज्यों की झांकियाँ शामिल होती हैं।

सैन्य प्रदर्शनी इस रैली का ईतिहासिक हिस्सा है, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के जवान अपनी शौर्य का प्रदर्शन करते हैं। प्रत्येक वर्ष, हमारे सैनिक विशेष मार्च करते हैं, जिससे उनकी अनुशासन और निष्ठा का परिचय मिलता है। इसके अलावा, वायुसेना के विमानों द्वारा आसमान में किए जाने वाले तड़क-भड़क वाले प्रदर्शन न केवल दर्शकों को रोमांचित करते हैं, बल्कि उन्हें हमारे देश की तकनीकी क्षमता का भी एहसास कराते हैं।

गणतंत्र दिवस की परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियाँ भी शामिल होती हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक होती हैं। ये झांकियाँ प्रत्येक राज्य की संस्कृति, परंपरा, और कलाओं का प्रदर्शन करती हैं। यहाँ पर प्रदर्शन कला, संगीत और लोककला का समावेश होता है, जो दर्शकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। इस प्रकार, गणतंत्र दिवस की परेड का यह मिलाजुला स्वरूप न केवल लोगों को एकजुट करता है, बल्कि उन्हें उनके देश पर गर्व महसूस कराता है।

स्कूली गतिविधियाँ और मनोबल

गणतंत्र दिवस, जो 26 जनवरी को मनाया जाता है, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। स्कूलों में इस दिन का आयोजन विशेष रूप से बच्चों के लिए बहुत ही आनंददायक और शैक्षिक होता है। इस अवसर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिनसे छात्रों में देशभक्ति और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित होती है।

स्कूलों में गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में नाटक, भाषण, और संगीत का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। बच्चे आमतौर पर इस अवसर पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों और उनके योगदान पर आधारित नाटक प्रस्तुत करते हैं। यह नाटक न केवल मनोरंजक होते हैं, बल्कि देश के प्रति बच्चों के मनोबल को भी बढ़ाते हैं। ऐसे नाटकों के माध्यम से बच्चे महत्वपूर्ण संदेश 전달 करते हैं, जो उन्हें अपने इतिहास के प्रति जागरूक बनाते हैं।

इसके अतिरिक्त, भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है, जहाँ बच्चे स्वतंत्रता और गणतंत्र के महत्व पर अपने विचार साझा करते हैं। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल बच्चों के संवाद कौशल को विकसित करती हैं, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और सार्वजनिक बोलने की कला में भी सक्षम बनाती हैं।

संगीत प्रोग्राम भी इस दिन का एक अभिन्न हिस्सा होता है। बच्चे देशभक्ति गाने गाते हैं, जिसमें उनके साथ-साथ सभी उपस्थित सदस्य भी शामिल होते हैं। ये गाने एकजुटता और सच्ची राष्ट्रभक्ति की भावना को उजागर करते हैं। इस तरह, गणतंत्र दिवस पर आयोजितActivities स्कूल के बच्चों में एकजुटता, समर्पण और सृजनात्मकता का संचार करती हैं, जो उन्हें भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती हैं।

गणतंत्र दिवस का संदेश

गणतंत्र दिवस, भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उत्सव, हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन उस क्षण को चिह्नित करता है जब 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ और देश एक लोकतांत्रिक गणतंत्र बना। गणतंत्र दिवस का संदेश राष्ट्रीय एकता, समानता और धर्मनिरपेक्षता का है। यह अवसर सभी भारतीयों के लिए याद दिलाने का काम करता है कि उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानना और समझना चाहिए।

गणतंत्र दिवस परेड, जो दिल्ली में आयोजित होती है, केवल एक भव्य शोभायात्रा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, विविधता और एकता का प्रतीक भी है। इस दिन लोग देश की विभिन्नता को मनाते हैं और यह आतिथ्यपूर्ण भावना को प्रकट करता है। सभी धर्मों और जातियों के लोग एक साथ मिलकर इस उत्सव में भाग लेते हैं, जिससे सच्ची एकता का अनुभव होता है। गणतंत्र दिवस का यह संदेश हमें यह याद दिलाता है कि हमें सभी नागरिकों के लिए समानता की रक्षा करनी है।

इस दिन का महत्व केवल औपचारिक समारोह तक सीमित नहीं है; यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने समाज में सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दें। हम सभी को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत का संविधान हमें दिया गया प्रत्येक अधिकार और स्वतंत्रता हमें सही दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करे। गणतंत्र दिवस का संदेश हमारे लिए यह है कि हम सभी मिलकर एक सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण करें, जिसमें हर नागरिक को समान सम्मान और अवसर मिले।

कला और संस्कृति का समावेश

गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी, भारतीय संस्कृति और कला का एक महत्वपूर्ण उत्सव है। इस दिन, देशभर में आयोजित समारोह केवल राजनीतिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह भारतीय विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रदर्शन करता है। विभिन्न राज्यों के कलाकार अपनी अनूठी कला को प्रस्तुत करते हैं, जो हमारे समृद्ध इतिहास और परंपराओं का प्रतीक होती है।

गणतंत्र दिवस पर होने वाले परेडों में भारत की विविध संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए वायरलेस नृत्य, लोक गीत और शिल्पकला की अनगिनत शैलियों का उपयोग किया जाता है। विभिन्न राज्यों की झांकियाँ उनकी सांस्कृतिक विशेषताओं को दर्शाती हैं, जैसे कि कबड्डी, नृत्य तथा संगीत। यह एकता में विविधता का अनूठा उदाहरण है, जो दर्शाता है कि भिन्नताएँ ही हमें जोड़ती हैं।

इसके अलावा, इस दिन, केंद्रीय संस्थाओं द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हैसियत के कलाकारों का योगदान भी महत्वपूर्ण होता है। यह कार्यक्रम भारतीय कला के विभिन्न स्वरूपों को प्रोत्साहित करते हैं, जैसे शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, और स्थापत्य कला। इस प्रकार, गणतंत्र दिवस के समारोह में कला और संस्कृति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं।

गणतंत्र दिवस की भव्यता में इस सांस्कृतिक समावेश का विशेष स्थान है। यह दिन न केवल हमारे सामूहिक गर्व का प्रतीक है, बल्कि यह एक अवसर है जब हम अपने देश की कला और संस्कृति को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। इस उत्सव के माध्यम से, हम एकजुटता की भावना, समानता का आदान-प्रदान तथा साझा सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देते हैं।

भाषण के तत्व

एक प्रभावी भाषण लिखने के लिए उसकी संरचना और महत्वपूर्ण तत्वों का ध्यान रखना आवश्यक है। एक भाषण का मूल उद्देश्य श्रोताओं को जानकारी प्रदान करना और उन्हें प्रभावित करना होता है। एक सफल भाषण में चार प्रमुख तत्व होते हैं: प्रस्तावना, मुख्य विषय, समर्थन और निष्कर्ष।

प्रस्तावना में श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करना महत्वपूर्ण है। यह अनुभाग परिचयात्मक होता है, जिसमें विषय का संक्षिप्त परिचय दिया जाता है। भाषण के इस चरण में एक आकर्षक कथा या प्रश्न का उपयोग करना सहायक हो सकता है। यह श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने में मदद करता है, जिससे वे आपके विचारों और अनुभूति को समझना और उनसे संबंधित होना आसान होते हैं।

मुख्य विषय में भाषण का केंद्रीय विचार प्रस्तुत किया जाता है। इस भाग में विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाती है और इसे उदाहरणों या आंकड़ों के माध्यम से समर्थन किया जाता है। समर्थन तत्व में विचारों को और मजबूत बनाने के लिए उपयुक्त आंकड़ों, तथ्यात्मक जानकारी, और प्रशंसापत्रों का समावेश किया जाता है। ये तत्व श्रोताओं के सम्मुख आपके तर्क को और प्रमाणित करते हैं और उन्हें आपकी बात समझने में मदद करते हैं।

अंत में, निष्कर्ष का कार्य आपके विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करना होता है। इसमें आपके मुख्य बिंदुओं का पुनरावलोकन किया जाता है और श्रोताओं को एक सशक्त संदेश देने का प्रयास होता है। इन सभी तत्वों का संतुलन और सामंजस्य एक सफल भाषण की पहचान है, जो न केवल जानकारी प्रस्तुत करता है, बल्कि श्रोताओं पर गहरा प्रभाव भी डालता है।

निष्कर्ष और प्रेरणा

गणतंत्र दिवस भारत के समृद्ध लोकतंत्र और विविधता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह दिन हर भारतीय के लिए खास है, क्योंकि यह हमें हमारे संविधान की महत्ता और उसके मूल सिद्धांतों के प्रति जागरूक करता है। गणतंत्र दिवस का उत्सव हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है, और यह हमारे देश की स्वतंत्रता, एकता, और अखंडता का प्रतीक है। यह दिन इस बात की याद दिलाता है कि कैसे हमारे पूर्वजों ने कठिन संघर्ष के बाद हमें एक मजबूत लोकतांत्रिक ढांचा दिया।

गणतंत्र दिवस परेड से लेकर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक, इस दिन का हर पहलू हमें हमारे राष्ट्रीय गर्व का अनुभव कराता है। यह उत्सव केवल एक सरकारी आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारे विचारों को एक दिशा देने वाला दिन है, जिसमें हम अपने धर्म, जाति, और राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में एकत्रित होते हैं। गणतंत्र दिवस हमें यह भी सिखाता है कि लोकतंत्र का मूल उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर प्रदान करना है।

इस स्थिति में, प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण पहलू है - हम अपने कर्तव्यों को समझें और अपने अधिकारों का सही उपयोग करें। गणतंत्र दिवस हमें यह संकेत देता है कि हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है। यह सहयोग और एकजुटता का समय है, जहां हम अपने देश की प्रगति में भागीदार बन सकते हैं। इसलिए, 26 जनवरी को मनाए जाने वाला यह उत्सव, न केवल एक ऐतिहासिक दिन है, बल्कि यह हमें प्रेरित करता है कि हम एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनें। स्मरणीय है, गणतंत्र दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, जो हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

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